Friday, October 16, 2015

TECH GUIDE: प्रचलित टेक टर्म्स और उनके मतलब



गैजेट डेस्क। कई बार गैजेट्स के बारे में पढ़ते समय हमारे सामने ऐसे शब्द आ जाते हैं, जिनके बारे में हमें कोई जानकारी नहीं होती। emitraservice.blogspot.com की टेक गाइड के जरिए हम आपको बताएंगे आमफहम टेक टर्म्स और उनके मतलब।
नोट: अगर इस लिस्ट में आप किसी और शब्द का मतलब जानना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में हमें लिखें।

* mAh- 
किसी डिवाइस की बैटरी के चार्ज पावर को दर्शाता है। आसान शब्दों में एक बैटरी में कितनी इलेक्ट्रिकल चार्ज पावर है, ये mAh से पता चलता है। ये आंकड़ा जितना ज्यादा होगा, उतनी ही डिवाइस को ज्यादा पावर मिलेगी और बैटरी लंबे समय तक काम करेगी।

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Megapixel - मेगापिक्सल-  Megapixel को हम short form में Million pixel (MP) कहते है! यानि 1 megapixel का मतलब 1 million pixel होता है.
 
कैमरा मेगापिक्सल का काम फोटो साइज को बढ़ाना होता है। जितने ज्यादा मेगापिक्सल होंगे, उतना ही बड़ा फोटो साइज होगा। हालांकि, इससे क्वालिटी में ज्यादा अंतर नहीं आता। कई लोगों को लगता है कि ज्यादा मेगापिक्सल होने से फोटो क्वालिटी बेहतर होगी। लेकिन ये सच नहीं है। फोटो क्वालिटी बेहतर कैमरा सेंसर से होती है, जो कलर और फोटो लाइट को संभालता है। वैसे, मेगापिक्सल फोटो क्वालिटी बढ़ाने में मददगार होता है।

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Resolution - रेजोल्यूशन- स्क्रीन की डिस्प्ले क्वालिटी (स्क्रीन क्वालिटी) या कैमरा की फोटो क्वालिटी आम तौर पर रेजोल्यूशन पर निर्भर करती है। जितना ज्यादा रेजोल्यूशन होगा, डिस्प्ले क्वालिटी उतनी ही बेहतर होगी।

कैसे चुनें रेजोल्यूशन :
अगर आप कोई लो बजट स्मार्टफोन खरीदना चाहते हैं, तो उसमें भी कई तरह की स्क्रीन क्वालिटी मिल सकती है। लो बजट मार्केट में 720*1280 पिक्सल (HD) के रेजोल्यूशन वाले स्मार्टफोन्स उपलब्ध हैं। इससे कम HVGA (480x320), VGA (640x480), FWVGA (854x480) जैसे रेजोल्यूशन वाले फोन भी मार्केट में लोकप्रिय हैं, लेकिन ये डिस्प्ले क्वालिटी के मामले में कमजोर होते हैं। अगर आपका बजट ज्यादा है तो फुल एचडी (1920*1080 पिक्सल का रेजोल्यूशन) वाले फोन लें। फुल एचडी फोन मिड रेंज में खरीदे जा सकते हैं और ये बड़ी स्क्रीन में भी बेहतर क्वालिटी गेमिंग या वीडियो देखने के लिए अच्छे होते हैं।
*Rear Camera   रियर कैमरा- रियर कैमरा मतलब फोन का बैक कैमरा है, जो पोर्ट्रेट या लैंडस्केप में यूजर्स को फोटो खींचने की सुविधा देता है।

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फ्रंट कैमरा- किसी भी गैजेट में फ्रंट कैमरा यूजर को सेल्फी खींचने और वीडियो कॉलिंग के काम आता है।
* एंड्रॉइड लॉलीपॉप- एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम का लेटेस्ट वर्जन एंड्रॉइड लॉलीपॉप 5.0 है। इस नए मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम में नया लुक दिया गया है जिसे मटेरियल डिजाइन का नाम दिया गया है। यूजर्स को एंड्रॉइड लॉलीपॉप ऑपरेटिंग सिस्टम में नए सिक्युरिटी फीचर्स मिलते हैं और इसके जरिए डिवाइस को एंड्रॉइड टीवी से भी कनेक्ट किया जा सकता है। इस नए ऑपरेटिंग सिस्टम में वॉइस सर्च को भी बेहतर बनाया गया है।
*मोबाइल पेमेंट- मोबाइल पेमेंट का सीधा मतलब मोबाइल से पेमेंट करना है। साथ ही, इसके द्वारा पैसा ट्रांसफर भी किया जा सकता है। मोबाइल पेमेंट के चार प्राइमरी मॉडल हैं, जिनमें इसमें SMS (शॉर्ट मैसेज सर्विस), डायरेक्ट मोबाइल बिलिंग, मोबाइल वेब पेमेंट (WAP) और नियर फील्ड कम्युनिकेशन (NFC) शामिल हैं।
*बेंचमार्क ऐप- बेंचमार्क ऐप आपके स्मार्टफोन को टेस्ट करती रहती है। ये ऐप बताती है कि आपका फोन कैसा काम कर रहा है। साथ ही, इस ऐप को इस्तेमाल करने वाले सभी स्मार्टफोन्स का डाटा भी ये आपसे शेयर करती है। यानी बेस्ट मोबाइल कौन से हैं और मार्केट में कौन से नए फोन आने वाले हैं।

* 64
बिट प्रोसेसर- 64 बिट प्रोसेसर का मतलब है कि जो प्रोससेर फोन में इस्तेमाल किया गया है, वो फोन में ज्यादा रैम, ज्यादा मेमोरी और बेहतर कैमरा फीचर्स सपोर्ट कर सकता है। 64 बिट प्रोसेसर के साथ फोन में बेहतर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर फीचर्स दिए जा सकते हैं। इससे बेहतर बैटरी बैकअप भी मिलता है। बता दें कि आईफोन में भी 64 बिट प्रोसेसर मिलता है।

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क्वाड-कोर या ऑक्टा-कोर प्रोसेसर - मल्टीकोर प्रोसेसर (एक से ज्यादा लेयर वाले) आम प्रोसेसर से बेहतर काम कर सकते हैं। सिंगल कोर प्रोसेसर एक समय पर एक ही काम करता है, वैसे ही क्वाड-कोर प्रोसेसर एक समय में चार अलग-अलग काम कर सकते हैं। मल्टीटास्किंग के लिए ये जरूरी है कि फोन में मल्टीकोर प्रोसेसर हो। प्रोसेसर को CPU भी कहा जाता है।

* LTE - LTE
का फुल फॉर्म लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन है। इसे आम भाषा में 4G कहा जाता है। अगर हम कह रहे हैं कि किसी फोन में LTE फीचर है, तो इसका मतलब है कि वह फोन 4G फीचर के साथ आएगा।

* GPS- GPS
सर्विस एक सैटेलाइट बेस्ड सर्विस है जो डिवाइस की लोकेशन, पोजिशन और स्थान विशेष के मौसम की जानकारी आदि देती है। इसे सुरक्षा के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। जब कोई मुसीबत में हो तो GPS से उस व्यक्ति की लोकेशन का पता लगाया जा सकता है।

* GPU- 
ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट एक स्पेशल सर्किट होता है जो फोन में इमेज इनपुट और आउटपुट का काम करता है। आसान शब्दों में कहा जाए तो GPU की मदद से गेमर्स को गेम खेलने के दौरान बेहतर डिस्प्ले क्वालिटी मिलती है और ऐसा ही मूवी या वीडियो देखने के दौरान होता है।

* NFC- 
नियर फील्ड कम्युनिकेशन (NFC) शॉर्ट रेंज में ज्यादा फ्रीक्वेंसी के साथ डिवाइसेस को कनेक्ट करने में मदद करता है। आसान शब्दों में लिमिटेड दूरी में तेज स्पीड के साथ NFC की मदद से वायरलेस डिवाइस कनेक्ट किए जा सकते हैं। ये फाइल शेयरिंग, इंटरनेट एक्सेस और बाकी ट्रांसफर के लिए काफी उपयोगी साबित होता है।

* GPRS- 
मोबाइल नेटवर्क के जरिए डाटा ट्रांसफर की तकनीक को GPRS कहा जाता है। इसे मोबाइल इंटरनेट कहते हैं जो आम सिम के जरिए काम करता है।

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इन्फ्रारेड पोर्ट- इन्फ्रारेड पोर्ट की मदद से डिवाइस को रिमोट में बदला जा सकता है। इन्फ्रारेड सेंसर ही टीवी, DVD, AC आदि डिवाइसेस के रिमोट में लगे होते हैं। अगर किसी फोन में इन्फ्रारेड फीचर है, तो उसे होम अप्लायंस के रिमोट में बदला जा सकता है। इसके लिए कई ऐप्स गूगल प्ले स्टोर में उपलब्ध हैं।
*CyanogenMod- CyanogenMod एक ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर है जो स्मार्टफोन्स और टैबलेट्स में इस्तेमाल किया जाता है। ये एंड्रॉइड प्लेटफॉर्म पर आधारित है। इस ऑपरेटिंग सिस्टम के ओपन सोर्स होने के कारण कंपनियां पहले से दिए गए फीचर्स के साथ कुछ नए फीचर्स भी जोड़ सकती हैं। इससे यूजर्स को यूटिलिटी आधारित फीचर्स ज्यादा मिलते हैं।
*HDMI- डिजिटल ऑडियो और वीडियो ट्रांसफर करने के लिए HDMI पोर्ट और केबल का इस्तेमाल किया जाता है। स्मार्टफोन्स के डाटा केबल में एक साइड USB होता है और दूसरी तरफ HDMI
* BSI सेंसर- BSI सेंसर या बैक इल्युमिनेटेड सेंसर एक तरह का डिजिटल इमेज सेंसर है जो फोटो क्वालिटी को बेहतर बनाता है। इस सेंसर के कारण ही खींची जा रही फोटो में बेहतर लाइट आती है और कम लाइट की कंडीशन में भी बेहतर क्वालिटी मिलती है। आसान शब्दों में कहें तो फोटो में कितनी ब्राइटनेस होगी, इसे BSI सेंसर कंट्रोल करता है।
* कैश मेमोरी- ये डिवाइस मेमोरी में एक ऐसी जगह होती है जहां से हाल ही में एक्सेस किया गया डाटा आसानी से रिट्रीव किया जा सकता है। यूजर्स अपने डिवाइस पर जो भी काम करते हैं उसकी कॉपी कैश मेमोरी में भी सेव रहती है। मेन मेमोरी की जगह कैश मेमोरी से प्रोसेसर डाटा लेता है।
* हॉटस्पॉट- वाई-फाई हॉटस्पॉट एक ऐसा फीचर होता है जिसके जरिए एक डिवाइस अपने इंटरनेट कनेक्शन को बाकी डिवाइसेस में वाई-फाई सिग्नल की मदद से भेज सकता है। ऐसे में अगर किसी एक डिवाइस में इंटरनेट है तो एक या एक से ज्यादा डिवाइसेस उससे कनेक्ट हो सकेंगे।
* वूफर : वूफर टर्म लाउडस्पीकर जैसे एक डिवाइस के लिए इस्तेमाल की जाती है जो हाई फ्रीक्वेंसी साउंड को लो फ्रीक्वेंसी में बदल देता है। ये किसी भी बंद जगह पर अच्छी साउंड क्वालिटी देने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।

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बास (BASS) : बास एक तरह का म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट होता है जो साउंड क्वालिटी को लो पिच रेंज (लो फ्रीक्वेंसी) देता है।
*WCDMA: आसान शब्दों में WCDMA मतलब 3G टेक्नोलॉजी। ये कई CDMA (रेडियो चैनल टेक्नोलॉजी जिसकी मदद से फोन कॉल या इंटरनेट एक्सेस की जा सकती है।) को मिलाकर काम करती है। WCDMA डिवाइस और नेटवर्क आम CDMA डिवाइसेस पर काम नहीं करते हैं। इसीलिए 3G सिम और फोन अलग होते हैं।
*Gyroscope: इसका इस्तेमाल मोबाइल गेम खेलने में किया जाता है। जब हम रेसिंग वाला गेम खेलते हैं और कार को दाएं या बाएं मोड़ने के लिए मोबाइल फोन को भी दाएं या बाएं घुमाते हैं तब यह इसी सेंसर की वजह से होता है।
*Pixel Density: इसे pixels per inch (ppi) के रूप में मापा जाता है। जिस मोबाइल का ppi सबसे ज्यादा होता है वह मोबाइल उतना ही अच्छा होता है। स्क्रीन के डिस्प्ले के एक इंच की दूरी में जितने अधिक पिक्सल होंगे आपके डिवाइस का स्क्रीन डिस्प्ले उतना ही अच्छा होगा। iPhone-6 की स्क्रीन साइज़ 4.7 इंच है, रेजोल्यूशन 750 x 1334 है और ppi 326 है।
*Accelerometer: मोबाइल की स्क्रीन को पोर्टेट या लैंडस्कैप में करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। मोबाइल को हम जिस भी दिशा में घुमाते हैं, ठीक उसी दिशा में मोबाइल की स्क्रीन भी घुम जाती है। मोबाइल में 'Auto rotate' सेटिंग इसी पर काम करती है। इसका इस्तेमाल इमेज-रोटेशन में भी किया जाता है।
*Proximity Sensor: कई बार होता है कि हम फोन को कान पर लगाकर किसी से बात कर रहे होते हैं और तभी हमारा कान मोबाइल के टचस्क्रीन को छू लेता है और इस वजह से फोन कट जाता है या फिर कोई ऐप चालू हो जाता है। कॉल के दौरान ऐसी किसी भी स्थिति से बचने के लिए Proximity Sensor का उपयोग किया जाता है। Proximity Sensor आपके फोन और उसके सामने की वस्तु के बीच की दूरी की पहचान कर अलर्ट भेजता है।
*Light ambient sensor: इसका इस्तेमाल मोबाइल फोन की ब्राइटनेस को सेट करने में किया जाता है। जब हम किसी डिवाइस में ब्राइटनेस सेटिंग को 'ऑटो' मोड में सेट करते हैं तब वह डिवाइस हमारे आस-पास मौजूद लाइट के हिसाब से मोबाइल स्क्रीन की ब्राइटनेस को सेट करता है ताकि मोबाइल स्क्रीन पर देखने में आंखों को कोई परेशानी ना हो।
*USB Type-C: ये पोर्ट्स पुराने पोर्ट्स की तरह नहीं होते हैं। इसकी मदद से सभी केबल एक ही पोर्ट में कनेक्ट किए जा सकते हैं। इसके लिए अलग-अलग पोर्ट्स किसी डिवाइस में देने की जरूरत नहीं होगी। इसका मतलब चाहे की बोर्ड की पिन लगानी हो या माउस या फिर चार्जर अटैच करना हो, सब एक ही पोर्ट से हो जाएगा। इसके अलावा, इस पोर्ट में चाहे केबल उलटा लगाया जाए या सीधा केबल लग जाएगा।
4K- 4K डिस्प्ले क्वालिटी का मतलब है HD से 8 गुना बेहतर डिस्प्ले क्वालिटी वाला डिवाइस। 4K उस डिस्प्ले रेजोल्यूशन को कहा जाता है जिसमें 4000 पिक्सल होते हैं। इसे आम तौर पर अल्ट्रा हाई डेफिनेशन टेलीविजन भी कहा जाता है। कुल मिलाकर कहा जाए तो ये अभी कमर्शियल टीवी में सबसे बेस्ट क्वालिटी है।
USB Type-C - USB Type-C पोर्ट्स पुराने पोर्ट्स की तरह नहीं होते हैं। इसकी मदद से सभी केबल एक ही पोर्ट में कनेक्ट किए जा सकते हैं। इसके लिए अलग-अलग पोर्ट्स किसी डिवाइस में देने की जरूरत नहीं होगी। इसका मतलब चाहे की बोर्ड की पिन लगानी हो या माउस या फिर चार्जर अटैच करना हो, सब एक ही पोर्ट से हो जाएगा। इसके अलावा, इस पोर्ट में चाहे केबल उलटा लगाया जाए या सीधा कोई फर्क नहीं पड़ेगा। पोर्ट एक ही तरह से काम करेगा।
OLED- बाजार में एलईडी टीवी के साथ अब ओएलईडी टीवी भी मिलने लगे हैं। ओएलईडी यानी ऑर्गनिक लाइट एमिटिंग डायोड भी एलईडी आधारित तकनीक है और इसे टीवी से लेकर स्मार्टफोन्स तक में इस्तेमाल किया जा रहा है। जहां एलईडी टीवी एलसीडी टीवी का ही प्रकार हैं और इनमें एलईडी की मदद से स्क्रीन पर एलसीडी के पिक्सल को रोशन किया जाता है। वहीं ओएलईडी स्क्रीन में खुद एलईडी ही पिक्सल का काम करती हैं और 6 लेयर्स मिलकर तस्वीरें स्क्रीन पर लाती हैं। इसलिए ओएलईडी टीवी पर तस्वीर ज्यादा स्पष्ट दिखती है और किसी भी एंगल से देखने पर एक सा दिखाई देता है। साथ ही ओएलईडी स्क्रीन वाले गैजेट्स काफी पतले और हल्के होते हैं। फिलहाल ओएलईडी तकनीक महंगी है इसलिए इसके टीवी की कीमत काफी ज्यादा है।
* Encryption- आपके स्मार्टफोन की सेटिंग्स में ‘Encrypt your data' या एनक्रिप्शन से जुड़े अन्य विकल्प उपलब्ध होते हैं। कम्प्यूटर में भी इस तरह की सुविधा होती है। एनक्रिप्शन या अपने डाटा को एनक्रिप्टेडफॉर्म में बदलना। यह एक ऐसा तरीका होता है, जिसमें आप से जुड़ी संवेदशनशील या निजी जानकारियों की फाइल्स को सिस्टम ऐसी फाइल्स में बदल देता है और पासवर्ड, प्राइवेट की या अन्य तरीकों से सुरक्षित कर देता है। इसके बाद आपके अलावा अगर कोई इन फाइल्स को देखने की कोशिश करता है, तो उसे अजीब आकृतियां और उल्टे-सीधे शब्द नजर आते हैं। इसके बाद फाइल को पासवर्ड के जरिए डिक्रिप्ट करके ही देखा जा सकता है। यह अपनी निजी या संवेदनशील फाइल्स को और भी ज्यादा सुरक्षित बनाने का कारगर तरीका होता है। इससे फाइल सिस्टम (मोबाइल या कम्प्यूटर) की सुरक्षा प्रणाली पर निर्भर नहीं रहती।
* CLOCK SPEED- मोबाइल और कम्प्यूटर दोनों के लिए ही अब प्रोसेसर्स के विकल्प की भरमार है। कई बार एक ही नाम का प्रोसेसर अलग-अलग स्पीड देता है। ऐसा क्लॉक स्पीड की वजह से होता है। यह इस बात का माप होता है कि कोई भी प्रोसेसर एक साइकिल (एक सेकंड) के दौरान कितने ऑपरेशन पूरे कर सकता है। चूंकि नए जमाने के प्रोसेसर एक सेकंड में लाखों क्लॉक साइकिल पूरे कर सकते हैं, इसलिए इन्हें आमतौर पर गीगाहर्ट्स या मेगाहर्ट्ज में मापा जाता है। प्रोसेसर की ओवरऑल परफॉर्मेंस क्लॉक स्पीड पर भी निर्भर करती है। यानी अगर प्रोसेसर में बाकी कंपोनेंट अच्छे हैं, लेकिन उसकी क्लॉक स्पीड कम है, तो वह धीमा काम करेगा। इसलिए नया मोबाइल, लैपटॉप या कम्प्यूटर खरीदते समय उसके प्रोसेसर की क्लॉक स्पीड की जानकारी भी लेनी चाहिए।